Monday, August 22, 2011

सचिन को भारत रत्न क्यों?

सचिन को भारत रत्न क्यों?  
 
विगत कुछ समय से सचिन को भारत रत्न दिए जाने की मांग ऐसे की जा रही है जैसे उन्होंने अपनी देश सेवा से गांधी, नेहरु, आम्बेडकर, पटेल, सुभाष चन्द्र बोस, टैगोर, गोखले, भगत सिंह, विवेकानंद, कलाम, कृषि वैज्ञानिकों, इसरो डी आर डी ओ के वैज्ञानिकों श्रेष्ठ चिकित्सकों तक को पीछे छोड़ दिया है.
भारत में क्रिकेट एक ऐसी राष्ट्रीय समस्या है कि इसके बारे में कुछ भी बोलना आसान नहीं है. विचारों पर भावना, सोच पर ग्लैमर, चिंतन पर नशा इस कदर हावी है कि हम विरोध तो दूर असहमति से शुतुरमुर्ग की तरह मुंह छुपाते है. प्रश्न यह है कि आखिर सचिन ने भारत के लिए किया ही क्या है या भारत को दिया ही क्या है कि उनको देश का रत्न मान लिया जाए? केवल चंद देशों के साथ एक खेल में रन बना लेना ही क्या किसी को भारत रत्न के योग्य बना देता है? 
यह क्रिकेट के खिलाडी न केवल प्रत्येक मैच खेलने के लिए मोटी रकम पाते हैं बल्कि पूरी देह, कपड़ों, बल्ले में अनेक कंपनियों के नाम चिपकाये कार्टून बने करोड़ों रूपये कमाते है. इसके अलावा टेलीविजन पर अनेक विज्ञापनों से सालाना करोड़ों रूपये भी कमाते हैं जिसमें शराब की कंपनी भी शामिल हैं. 
इन खिलाडियों के लिए देश नहीं पैसा महत्त्वपूर्ण होता है. पैसे के लिए ही यह IPL BPL CPL DPL किसी भी टीम में नीलामी द्वारा खरीदे जा सकते हैं जहाँ पैसे के लिए धोनी सचिन को स्टंप कर सकते हैं तो सहवाग द्रविड़ को कैच आउट कर सकते हैं. 
यह खिलाडी पैसे के लिए सब कुछ बेचते बेचते एक दिन स्वयं भी बिकाऊ सामान (Saleable Item) बन जाते हैं और बाज़ार में बिकने लगते हैं. 
अगर इनको किसी राष्ट्रीय समारोह में बुलाया जाये और दूसरी ओर कोई और पैसे का कार्यक्रम हो तो यह वहां जाना पसंद करेंगे. टाइम्स ऑफ इण्डिया में समाचार छपा था कि १८ जुलाई को भारतीय उच्चायोग ने एक समारोह में भारतीय क्रिकेट टीम के शामिल न होने कि शिकायत की थी.
अक्सर यह बात चर्चा में आती रहती है कि भारत के जिस भी इलाके में कोल्ड ड्रिंक के प्लांट लगते हैं वहां का भूजल स्तर बहुत तेजी से नीचे जाता है. यह क्रिकेट खिलाडी कोल्ड ड्रिंक को बेचने में सबसे आगे रहते है. सारे मैच में भी कोल्ड ड्रिंक कंपनी ही छाई रहती है. बल्कि यह कहा जा सकता है की हमारे देश में क्रिकेट के खिलाडी व फिल्म स्टार की ही वजह से कोल्ड ड्रिंक बिकती है. अगर क्रिकेट से कोल्ड ड्रिंक को हटा दिया जाये तो इनकी बिक्री बहुत कम हो जाएगी. वास्तव में क्रिकेट और यह तथाकथित देशभक्त खिलाडी देश में कोल्ड ड्रिंक व बाज़ार के सामान  बेचने का जरिया बन गए हैं. 
मित्रों क्या यह हमारा दायित्व नहीं की हम भेड़ चाल से परे देश हित में खुले दिमाग से सोचें? आखिर कौन हमें गुलाम बनाये रखना चाहता है? आँख दिमाग बंद कर जूनून में चिल्लाने से किसका भला हो रहा है किसके हित सध रहे हैं? आखिर हम कोई पेय पदार्थ आँख बंद कर क्यों पियें?
वास्तव में क्रिकेट को जूनून बना दिया गया है. पहले तो मैच कम होते थे अब पूरे साल ही टेस्ट मैच, वन  डे, 20 -20, IPL BPL CPL DPL  आदि मैच होते रहते हैं और देश का युवा वर्ग देश की समस्याएं, अपनी परीक्षाएं, अपना कैरियर भूल कर इस नशे में खोया रहता है. 
इसके अलावा हमारा देश बिजली की तंगी व समस्या से जूझ रहा है. एक ओर बिजली के अभाव में ऑपरेशन टल जाते हैं, खेतों में सिंचाई का पानी नहीं पंहुच पाता है, बच्चे पढ़ नहीं पाते हैं, वहीँ दूसरी ओर रात में स्टेडियम में लाखों रूपये की बिजली एक दिन में फूँक कर क्रिकेट का तमाशा होता है जिसे देखने के लिए लोग घरों में टेलीविजन में लाखों की बिजली एक दिन में फूँक देते हैं. इसे ही कहते हैं अंधेर नगरी चौपट राजा, जब रोम जल रहा था तो नीरो बांसुरी बजा रहा था, कुएं में भांग, मस्तराम मस्ती में आग लगे बस्ती में, घर फूँक तमाशा देखना आदि. अगर कार्ल मार्क्स की भाषा में कहा जाये की क्रिकेट अफीम है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. अगर हम कुछ साल क्रिकेट को सीमित कर दें तो बिजली पानी की समस्या कुछ हद तक सुधर सकती है. इंग्लॅण्ड व उसके शासन के अधीन रहे चंद ऐसे देशों में ही क्रिकेट लोकप्रिय है जहाँ अभी भी गुलाम मानसिकता प्रभावी है. अन्य तरक्कीपसंद देशों में क्रिकेट का जूनून नहीं है.
इससे भी अधिक दुर्भाग्यपूर्ण है कि मीडिया, विशेषकर इलेक्ट्रोनिक मीडिया अपने उत्तरदायित्व को भूल कर क्रिकेट को लोकप्रिय बनाने में आँख मूँद कर शामिल है. उसके लिए राष्ट्रीय समस्या से बड़ी समस्या यह है कि ऐसा न हो कि कहीं दूसरे चैनेल की TRP हमसे ज्यादा न हो जाये. उसके लिए समाचार मात्र बिकाऊ सामान (Saleable Item) से अधिक नहीं. ऐसा नहीं कि सारे चैनेल ऐसे हैं कुछ अपने दायित्व को समझते हैं मगर अधिकांश इस भेडचाल में शामिल है.
इस प्रकार अगर देखा जाये तो सचिन ही भूमिका इतनी ही है कि इन्होंने क्रिकेट की, विज्ञापन कंपनियों की ही सेवा की है और इसके माध्यम से अरबों रूपये कमाए हैं. इसके अलावा इनका देश के प्रति कार्य, समर्पण शून्य है.  
जहां करोड़ों लोग एक समय भोजन को तरसते हों, साफ़ पानी के अभाव में लाखों लोग बीमार रहते हों, बच्चे गर्भवती स्त्रियाँ कुपोषण का शिकार हों, बचपन गरीबी के कारण अशिक्षा बालश्रम से ग्रसित हो वहां सपनों की अफीम, कोल्ड ड्रिंक का जहर, क्रिकेट के नाम पर जुनून भरी अकर्मण्यता बेच कर अपनी जेब में अरबों रूपये ले आना कौन सा ऐसा विशिष्ट, अद्वितीय या अतुलनीय कार्य है की क्रिकेट के किसी खिलाडी को भारत का रत्न या सपूत होने का तमगा दिया जाये?  
अगर इनको पुरस्कृत करना बहुत बहुत जरूरी हो तो "क्रिकेट रत्न" "विज्ञापन रत्न" "रन रत्न" "रुपया रत्न" "बिक्री रत्न" "कोल्ड ड्रिंक रत्न" जैसे पुरस्कार दिए जा सकते हैं.  
"भारत रत्न" तो सदियों में पैदा होते हैं जो अपना पूरा जीवन भारत की सेवा के लिए न्योछावर कर देते हैं. उनका जीवन दूसरों के लिए मिसाल बन जाता है और आने वाली पीढियां, बच्चे उनका अनुसरण कर देश को आगे बढ़ाने में अपना जीवन अर्पित कर देते हैं. सचिन जैसे खिलाडियों से बेहतर है की भारत रत्न उस किसान को दिया जाये जिसने अपना पसीना बहा कर हमें अनाज दिया है, जिस मजदूर ने सड़कें और मकान बनाये हैं, जिस चिकित्सक ने अमूल्य सेवा की है, जिस जांबाज सैनिक ने देश के लिए अपने प्राण दिए हैं, जिस वैज्ञानिक ने नयी खोज की है, जिस शिक्षक ने नयी पीढ़ी को निस्वार्थ भाव से तैयार किया है आदि.  
इसलिए सचिन को भारत रत्न देने की मांग अतार्किक व देश के हित में नहीं कही जा सकती. 
मैं यह नहीं कहता मैं ही सही हूँ मगर कम से कम इस मुद्दे पर एक बात तो की ही जा सकती है. आप अपना चश्मा उतार कर निष्पक्ष और निरपेक्ष रूप से सोचें तो क्या सही है? 
आप की राय पक्ष में हो या विपक्ष में, आप सहमत हों या असहमत पर भावनाओं से परे, तार्किक, संतुलित व विचारात्मक टिप्पणियों का स्वागत है.

14 comments:

  1. चिन्तनयुक्त प्रासंगिक लेख....

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  2. धन्यवाद शरद जी कि आपने समय दिया और सराहना की. दरअसल हिंदुस्तान की समस्या यह है की हमने सोचना छोड़ दिया है.
    आपके भावों से भरे ब्लॉग हेतु शुभकामनायें.

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  3. बहुत ही सही व् तर्कपूर्ण बातें है आपकी इस लेख में, हम सब भारतीयों को बहुत कुछ हासिल हो सकता है सिर्फ एक क्रिकेट के खेल को ही हम छोड़ दें तो, बाकी रही बात सचिन को भारत रत्न की तो वो किसी भी हालत में नहीं दिया जा सकता क्यूंकि उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया इस भारत के लिए जिसके कारण भारत का विकास बढ़ा हो , उलटा विदेशी कंपनियों का एजेंट बन कर लूटा है भारत को !

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  4. जिस दिन सचिन तेन्दुलकर को भारत रत्न दिया जाएगा। वह दिन भारत रत्न के महत्व को कम कर देगा।

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  5. शत-प्रतिशत आपसे सहमत हूँ . कल को लालू यादव, मायावती , जयललिता आदि को भी भारत रत्न देने की मांग उठने लगेगी.जो केवल अपने हित की साधना कर रहे हैं. सचिन भी केवल अपने लिए खेला करते हैं. आभार.

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  6. बंधुवर
    सादर अभिवादन !

    आपका आलेख अवश्य ही मंथन योग्य है …
    लेकिन खान अब्दुल गफार खान और नेल्सन मंडेला जैसों को भारतरत्न देने को आप कितना तर्कसंगत मानते है ?

    और मरणोपरांत राजीव गांधी को भारतरत्न के योग्य मान लिया जाता है , पता नहीं किस विशेषता के लिए … जबकि महात्मा गांधी तक को इस लायक नहीं माना गया ??

    यह हिंदुस्तान है … विसंगतियां ही विसंगतियां मिलेंगी …


    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई-शुभकामनाएं !

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  7. बंधुवर
    सादर अभिवादन !

    आपका आलेख अवश्य ही मंथन योग्य है …
    लेकिनखान अब्दुल गफार खान और नेल्सन मंडेला जैसों को भारतरत्न देने को आप कितना तर्कसंगत मानते है ?

    और मरणोपरांत राजीव गांधी को भारतरत्न के योग्य मान लिया जाता है , पता नहीं किस विशेषता के लिए … जबकि महात्मा गांधी तक को इस लायक नहीं माना गया ??

    यह हिंदुस्तान है … विसंगतियां ही विसंगतियां मिलेंगी …


    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई-शुभकामनाएं !

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  8. "लेकिन खान अब्दुल गफार खान और नेल्सन मंडेला जैसों को भारतरत्न देने को आप कितना तर्कसंगत मानते है ?
    और मरणोपरांत राजीव गांधी को भारतरत्न के योग्य मान लिया जाता है, पता नहीं किस विशेषता के लिए … जबकि महात्मा गांधी तक को इस लायक नहीं माना गया ??"
    @Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार

    मित्र इस आलेख का उद्देश्य पूर्व में प्रदत्त भारत रत्न की पड़ताल अथवा औचित्य पर प्रश्नचिन्ह लगाना कदापि नहीं है. यह तो मात्र वर्तमान में सचिन को भारत रत्न दिए जाने हेतु अंध भावुकता से ग्रस्त व्यक्तियों को देशहित में विचार करने के लिए है.

    "आपका आलेख अवश्य ही मंथन योग्य है …"
    @Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार

    यही तो उद्देश्य है स्वतन्त्र नागरिक का कि आप मेरी कही बात को माने या न माने पर मंथन अवश्य करें. समस्त अतिथियों का आभार.

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  9. आपने मुद्दा तो अच्छा उठाया है,पर ना जाने क्यूँ आप मुद्दे से भटक गये और एक खूबसूरत और emmotional लेख आपने लिख डाला.अगर आज क्रिकेट में ऐसे हालात हैं की कोई young player भी आकर लाखों रुपये कमा रहा है,और सचिन अगर करोड़ों कमा लेते हैं तो इसमें क्या सचिन की गलती है ? अब अगर हम ग़ालिब की तरह काहते रहे की "यूँ होता तो क्या होता " तो ये तो बेमानी वाली बात होगी. वैसे तो socialy active होना या समाजसेवा, ना तो किसी पर थोपी जाती है और ना ही इसके लिए किसी से कहा जाता है,फिर भी शायद कम ही लोग जानते हैं कि सचिन शायद अकेले ऐसे cricketer हैं जो 400 बच्चों की पूरी पढाई का खर्च उठाते हैं.
    और हाँ जैसा कि कुछ लोग कहते हैं कि सचिन अपने लिए खेलते हैं, तो मैं उन लोगों से ही पूछना चाहूँगा कि क्या ये संभव है, कि कोई खिलाडी जो national लेवल पर 21 साल से खेल रहा हो ,वो देश ,अपने बोर्ड या सबसे बड़ी बात, कि खुद अपनी नज़रों मैं झूठी शान लेके घूम सकता है ?
    वो इन्सान जो 40 साल से भी कम उम्र मैं लोगों का आदर्श बन गया हो ,और जिसे लोग अपनी (क्रिकेट की) दुनियां का भगवान कहते हों, इतनी बड़ी उपलब्धि पर भी जो बच्चों की तरह मुस्कुराता हो ,उस इंसान मैं कोई ना कोई बात तो होगी,
    जैसा की हम जानते हैं भारत रत्न कुल ६ field मैं असाधारण उपलब्धियों या योगदान के लिए दिया जाता है तो cricket मैं सचिन की क्या उपलब्धियां हैं ,मुझे लगता है शायद पूरे भारत में कम ही लोग होंगे जो इस बारे में ना जानते हो,
    हाँ अगर खेलों में भारत रत्न दिया जाये तो सचिन के साथ साथ अगर मेजर ध्यानचंद को भी यह सम्मान मिले तो यह एक अच्छा फैसला हो सकता है.
    डॉ. बशीर बद्र की लाइन जरुर कहना चाहूँगा.
    ये फूल कोई मुझे विरासत में मिले हैं ?
    तुमने मेरा काँटों भरा विस्तर नहीं देखा
    जिस दिन से चला हूँ मेरी मंजिल पे नज़र है,
    इन आँखों ने मील का पत्थर नहीं देखा.

    आखिर में अपने सभी ब्लॉग सदस्यों की तरह में भी यही कहना चाहूँगा कि.....बहुत सुन्दर लिखा है आपने....

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  10. @ कुमार जी आपकी इस बात पर शायद कम ही लोग जानते हैं कि सचिन शायद अकेले ऐसे cricketer हैं जो 400 बच्चों की पूरी पढाई का खर्च उठाते हैं. मैं कहना चाहूँगा कि खाते हैं कि सबसे ऊपर राष्ट्र धर्म होता है यानि राष्ट्र किसी भी नागरिक के लिए ही सर्वोपरि होता है यही सिद्धांत मुझ पर आप पर और सचिन जी पर भी लागू होता है, और राष्ट्र की सबसे बड़ी संम्पति उसके लोग होते हैं, और लोगों को अच्छे रास्ते पर लाना उनके लिए कई तरह की व्यवस्थाएं करना ही सच्ची देश सेवा होती हैं तो ये बात कहाँ तक उचित है के सचिन एक तरफ ४०० बच्चों का जीवन बनाते हैं तो दूसरी तरफ उन्ही बचों और उनके अभिभाविकों को जहर पीने के लिए उकसाते हैं, ये कहाँ कि देश भक्ति है,शायद यही बात विचार करने वाली है !

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  11. सभी अतिथियों का आभार. कृपया प्रशंसक नहीं समर्थक बने.
    धन्यवाद संजय जी, समर्थन के लिए.
    कई लोग सचिन को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ खिलाडी बताते है. इसका अर्थ कि वे अभी भी भावनाओ के आधार पर ही कह रहे है. दुनिया में कितने देश है? और क्रिकेट कितने देशो में खेला जाता है? ओलम्पिक में कितने देश आते है? क्या अभिनव बिंद्रा, जिसने ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीता, जो भारत के इतिहास का पहला स्वर्ण पदक था, सचिन से कही अधिक महान नहीं. विश्वनाथन आनंद, जिसने शतरंज में रूस कि बादशाहत को चुनौती देकर भारत का सर ऊंचा किया कही अधिक महान नहीं?
    दोष आपका या भारतवासियों का नहीं. क्रिकेट का ऐसा जूनून, उन्माद भारत में हावी कर दिया गया है कि हम सचिन, वीरू, धोनी, भज्जी, क्रिकेट, सेंचुरी, विकेट, रन से आगे सोच नहीं पाते. क्रिकेट युवाओ के दिल-ओ-दिमाग पर ऐसा हावी कर दिया गया है कि एक नागरिक के रूप में देश की समस्याओ पर सोचने के बजाय वो अपनी दुनिया में मस्त रहे.
    मै तो भारत के युवा मन को उन्माद से मुक्त कर खुली हवा में सोचने समझने वाला देखना चाहता हूँ. जो पर्यावरण, गिरते भूजल के स्तर, प्रदूषण, जमीन, खेत, सामाजिक मूल्यों सरोकारों, सामाजिक बुराइयों आदि के बारे में चिंता और चिंतन कर सकें. ऐसे ही युवा देश के लिए सोच सकते है और कुछ कर सकते है.
    सबका पुन: आभार.

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  12. धन्यवाद कुमार जी कि आप आये और आपकी टिप्पणी हेतु आभार कि आपने इतना समय दिया.

    " शायद कम ही लोग जानते हैं कि सचिन शायद अकेले ऐसे cricketer हैं जो 400 बच्चों की पूरी पढाई का खर्च उठाते हैं....और हाँ जैसा कि कुछ लोग कहते हैं कि सचिन अपने लिए खेलते हैं, तो मैं उन लोगों से ही पूछना चाहूँगा कि क्या ये संभव है, कि कोई खिलाडी जो national लेवल पर 21 साल से खेल रहा हो ,वो देश ,अपने बोर्ड या सबसे बड़ी बात, कि खुद अपनी नज़रों मैं झूठी शान लेके घूम सकता है ? जैसा की हम जानते हैं भारत रत्न कुल ६ field मैं असाधारण उपलब्धियों या योगदान के लिए दिया जाता है तो cricket मैं सचिन की क्या उपलब्धियां हैं ,मुझे लगता है शायद पूरे भारत में कम ही लोग होंगे जो इस बारे में ना जानते हो,"

    अगर देखा जाये तो समाज में पूरे देश में कम से कम हजारो लोग ऐसे होंगे जिन्होंने न केवल अपना सारा पैसा बल्कि जीवन दूसरो के लिए समर्पित किया होगा पर उनको कोई नहीं जानता. उनका दोष? इतना ही तो है? कि वो क्रिकेट नहीं खेलते इसलिए प्रचार से दूर है.
    अनुरोध है कि आप फिर पूरे आलेख को पढने की कृपा करे. मेरा अनुरोध इतना है कि क्या अगर टेलेविजन के माध्यम से क्रिकेट का जूनून भरा बाजार न होता तो आप क्या फैसला लेते? कोई व्यक्ति निजी जीवन में अच्छा हो सकता है पर "भारत रत्न"? कृपया क्रिकेट के मोह से अलग होकर एक बार, बस एक बार "भारत रत्न" की गरिमा, गंभीरता, इसमें व्यक्त सम्मान, आशा, अपेक्षा पर सोचें तो. "भारत रत्न" केवल क्रिकेट प्रेमियों का ही प्रतिनिधि नहीं है. उन करोडो देशवासियों का भी है जो झूठी चमक दमक से परे जीने के लिए संघर्ष करते है. उन क्रांतिकारियों, स्वतंत्रता सेनानियों का भी है जिन्होंने प्रगतिशील भारत का सपना देखा था. वो सपना शायद ऐसा नहीं रहा होगा..........

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  13. चलिए बच गए। पहले तो लगा कि सचिन को भारत रत्न दिलवाने के समर्थन में लिखा होगा कुछ लेकिन अब तसल्ली हुई। धन्यवाद। उस आदमी को कोई रत्न नहीं मिलना चाहिए। शब्द पुष्टिकरण हटा दीजिए। आसानी होगी।

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